सूरज, ओ, दहकते लाल सूरज! बुझे मेरे हृदय में जिंदगी की आग भर दो! थके निष्क्रिय तन को स्फूर्ति दे गतिमान कर दो!
सुनहरी धूप से, आलोक से - परिव्याप्त हिम / तम तोम हर लो!
सूरज, ओ लहकते लाल सूरज!
हिंदी समय में महेन्द्र भटनागर की रचनाएँ